Wednesday, December 10, 2014

दिसम्बर

पिछले आठ दस दिनों में काफी सारा नया साहित्य पढ़ा। कवितायें, कहानियाँ, ब्लौग्स.... बस पढ़ती ही रही... जानती हूँ तुम्हें नफरत थी इस आदत से, पर क्या करूँ, मुझे तो प्यार था। जानते हो इस सारे नए लिटरेचर मे कॉमन क्या है? दिसम्बर... दिसम्बर पर जितना लिखा गया है उतना शायद ही किसी और महीने के बारे मे लिखा जा रहा हो इन दिनों...
दिसम्बर इज़ राइटर्स न्यू फागुन ऐन्ड सावन।
और दिसम्बर को इतना फूटेज मिलने का कारण लिखते लिखते समझ आया।
दिसम्बर मे भी तो वही बात है जो तुममे है। हम दिल अक्सर उन्ही से लगाते हैं जो छोड़ के जाते हैं, चाहे तुम हो, चाहे दिसम्बर।


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