Tuesday, December 2, 2014

बड़ी बड़ी बातें

“ये इश्क़ विश्क़ का कीड़ा बहुत कुत्ती चीज़ है लाला, एक बार लग जाए तो तबाही गारंटी है।“ ये ब्रम्ह्ज्ञान बाँटते हुए एक लंबा कश खींच कर अपने दोस्तों के बीच वो अपना भौकाल टाईट रखता था। “बाबा, अपना सही है, अकेले ही बहुत खुश है। ये रिलेशनशिप वगैरह के फर्जी चक्कर मे पड़ना ही नहीं हमको। साला, लड़की के हज़ार नखरे उठाओ, उसके घर-वर के झऊआभर चक्कर काटो, हर रोज़ की मान मनौवल, फिर अगर सेट हो गयी तो घुमाओ फिराओ, पैसा उड़ाओ और ना सेट हुई तो बैठो आँसू बहाते, साला देवदास बन के शेर-ओ-शायरी, सुट्टा, दारू मे टोटल ज़िंदगी बर्बाद। खाली चूतियापा है ई सब, और कुछ नहीं।” एक और कश खींचते हुए अपने आस पास वालों के बीच खुद को दुनिया का सबसे बड़ा फिलोसोफ़र समझने वाला वो लड़का जब रात को अपने बिस्तर पर लेटता है तो उसकी आँखों मे एक ही सपना पलता है। बनारस, इलाहाबाद, कानपुर, रायबरेली या बलिया वाली, अपने गली, मोहल्ले, चौराहे या नुक्कड़ वाली, उस एक लड़की को देख लेने का सपना, उसका नाम पूछने का सपना, उसके साथ बातें करने का सपना.....

छोटे छोटे शहरों मे ऐसी बड़ी बड़ी बातें अक्सर होती रहती हैं.... 

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