Thursday, July 10, 2014

एक कहानी...

 
एक कहानी,
फटी पुरानी
न कोई राजा,
न कोई रानी,
एक आईना,
वो चार आँखें,
एक साँस,
बस मैं और तुम....
एक से मौसम,
एक से कपड़े,
एक सी कविता,
एक से मिसरे,
एक सी बातें,
उन बातों के,
पाक मे घुलमिल,
एक आस,
बस मैं और तुम….
एक दिवाली,
और एक होली,
दूर गाँव,
एक पास सड़क,
एक पुलिया
फिर एक पगडंडी,
वहीं किनारे,
एक नहर पर,
दो मुस्काने,
एक विश्वास,
बस मैं और तुम....
तिरछी भौं,
मूछों पर तान,
सौ तलवारें,
दो सौ प्राण,
एक ग्वालन,
एक कुम्हार,
एक फैसला,
दो जीवन या 
दो सौ आन,
वहीं नदी के,
दूर छोर पर,
कोस दूर पर
डाल से लटके 
                           पास पास,
                        बस मैं और 
                             तुम...........